Friday 28 February 2014

टाटा कंपनी द्वारा डिमना बांध से किए गये विस्थापितों के न्याय के लिए


जल जंगल जमीन की लूट,       अतीत के विस्थापितों को न्याय चाहिए,
नहीं किसी को इसकी छूट।              डिमना बांध के विस्थापितों को न्याय चाहिए।


प्रिय साथी जोहार,
टाटा कंपनी को कालीमाटी से कोरस तक पहुंचने में डिमना बांध के विस्थापितों का क्या योगदान है, किसी को भी पूछा जाय तो स्पष्ट रूप से जवाब आयेगा कि डिमना बांध विस्थापितों ने टाटा कंपनी के विकास के लिए अपने पूर्वजों के गांव को त्याग कर जमीन दिया। बांध से ()12 मौजा जलमग्न हैं। विस्थापित परिवार दलमा के तरार्इ पर बसने के लिए मजबूर हुए। आज भी देखा जा सकता है कि विस्थापित लकड़ी, दातून, पत्ता आदि बेचकर किसी तरह दिन गुजार रहे हैं।
टाटा कंपनी की जिम्मेदारी बनती है कि कम से कम कार्पोरेट सोशल रिस्पान्सबिलिटी के तहत कुछ बुनियादी विकास के लिए काम करे। आज तक कोर्इ ठोस काम नहीं हुआ। ऐसा लगता है कि इन क्षेत्रों के विकास के लिए भविष्य की योजना ही नहीं है। अंग्रेजो के शासन काल से झारखंड की जल, जंगल, जमीन और खनिज के दोहन के बदले आदिवासी-मूलवासी के विकास के लिए व्यापक योजना चाहिए थी।
डिमना बांध विस्थापितों के मांग एवं न्याय के लिए विगत पांच वर्षों से आंदोलन जारी है। रैली, जुलूस, धरना-प्रदर्शन, अनशन आदि कार्यक्रम किये गये हैं। इस दौरान अनुमंडल पदाधिकारी, धालभूम की अध्यक्षता एवं भूमिसुधार उपसमाहर्ता के सहयोग से 19 दौर की त्रिपक्षीय वार्ता हो चुकी है। न चाहते हुए भी टाटा कंपनी को वार्ता में आकर जवाब देने के लिए बाध्य होना पड़ा। वार्ता के माध्यम से समस्याएं पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी हैं और एक निष्कर्ष बना है, केवल निर्णय लेना शेष है। लेकिन दु:ख की बात है कि लगभग एक वर्ष बीतने के बावजूद टाटा कंपनी एवं प्रशासन की ओर से अपेक्षित गंभीरता नहीं रही है, जिसकी वजह से मामला टलता रहा है। दूसरी ओर मौजा पुनसा के 3.84 एकड़ और लायलम के 1.99 एकड़ पर धान की फसल डुब में आने से किसानों को क्षति हो रही है। पिछले दिनों रैयतों ने टाटा कंपनी के प्रबंध निदेशक और जुस्को के महाप्रबंधक के नाम से बोड़ाम थाना में आदिवासी रैयतों को प्रताडि़त करने और फसल बर्बाद करने पर सनहा दर्ज की गयी है।
हमारी मांग निम्न है -
1. टाटा कंपनी अतिक्रमित 102 एकड़ जमीन की क्षतिपूर्ति दी जाये।
2. डिमना बांध में अन-अधिग्रहित मौजा पुनसा के 3.84 एकड़ और लायलम के 1.99 एकड़ जमीन के फसल के नुकसान की क्षतिपूर्ति दे।
3. डिमना बांध के विस्थापितों को बकाया मुआवजा, नौकरी और पुनर्वास की व्यवस्था की जाय।
4. टाटा कंपनी के द्वारा विस्थापित परिवारों को डिमना के पानी के उपयोगिता मूल्य या लाभ का आधा हिस्सा दिया जाए।
5. डिमना बांध में नौकाचालन और मत्स्य पालन का अधिकार विस्थापितों के समूह को दिया जाये।
6. टाटा स्टील के कर्मचारियों की तरह विस्थापित परिवारों को भी नौकरी, चिकित्सा और शिक्षा की सुविधायें दी जायें।
7. डिमना बांध के किनारे अमरी पौधे की झाडि़यो को नियमित रूप से साफ किया जाये।
8. डिमना बांध के किनारे-किनारे लिफट-इरिगेशन द्वारा सिंचार्इ की व्यवस्था की जाये।
9. कार्पोरेट सामाजिक दायित्व के तहत विस्थापित इलाको में ग्राम सभा की सहमति से विकास कार्य किया जाय।

1. आंदोलन की शुरूआत एक विशाल रैली के साथ 06 जनवरी 2009 को किया गया। जुस्को प्रबंधक को 12 सूत्री मांग पत्र सौंपा गया जिनमें से 7 मांग डिमना बांध संबंधित था एवं अन्य 5 मांग राज्य सरकार से संबंधित था।
2. जमशेद जी टाटा के जन्म जयंती 03 मार्च 2009 को जमशेदपुर में विरोध प्रदर्शन किया गया।
3. 09 मार्च को प्रतिनिधिमंडल द्वारा तत्कालिन उपायुक्त, नितिन मदन कुलकर्णी को ज्ञापन दिया गया।
4. 06 जनवरी 2010 को 14 सूत्री मांग पत्र पूर्वी सिंहभूम के तत्कालिन उपायक्त, रविन्द्र अग्रवाल को सौंपा गया। जिनमें 7 मांग डिमना बांध संबंधित था।
5. जमशेद जी टाटा के जन्म जयंती 03 मार्च 2010 को डिमना बांध के समक्ष टी.एम.डी.सी कार्यालय की घेराव किया गया।
6. 26 अक्टूबर 2010 को आम बागान मैदान से टाटा स्टील के जेनरल गेट तक जुलूश एवं गेट के समक्ष धरना दिया गया।
7. 13 - 17 फरवरी 2012 तक 11 सूत्री मांग पत्र जिनमें 8 मांग डिमना बांध संबंधित था। इन मांगों को लेकर 5 दिनों का अनिशिचतकालिन अनशन उपायुक्त कार्यालय के समक्ष किया गया।
8. 02 मार्च 2012 को डिमना बांध के समक्ष टी.एम.डी.सी कार्यालय की घेराव किया गया।
9. 23 जुलार्इ 2013 को 10 सूत्री मांग पत्र जिनमें 8 डिमना बांध के संबंधित उपायुक्त कार्यालय के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया गया।
10. 24 अगस्त 2013 को डिमना बांध का जल स्तर बढ़ जाने से पुनसा एवं लायलम के रैयतों का खेत का फसल नस्ट होने के संबंध में बोड़ाम थाना में प्रथमिकी दर्ज करने की मांग। एवं झामुवा की ओर से बोड़ाम अंचलाधिकारी को ज्ञाापन दिया गया।
11. 30 सितम्बर -01 अक्टूबर 2013 तक जन जल सत्याग्रह एवं 02 अक्टूबर 2013 को 125 लोगों की गिरफतारियां हुर्इ।


कुमार दिलीप    

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