परिचय


विस्तृत परिचय के लिये-    
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संक्षिप्त परिचय  -

18 मार्च 1974 को जब छात्रोँ ने शैक्षणिक अराजकता भ्रष्टाचार, महंगाई के सवालोँ पर बिहार विधानसभा को घेर लिया तो कांग्रेसी सरकार ने बरबरतापुर्वक लाठी गोली से आंदोलन का दमन प्रारम्भ किया |जहाँ भी 14 से 30वर्ष के युवा दिखते उन्हेँ गिरफ्तार कर लेती।तब छात्रो ने क्रांतिदूत जयप्रकाश नारायण से आंदोलन की बागडोर संभालने की अपील की।तब संपुर्ण क्रांति शांतिमय आंदोलन का वादा लेकर जयप्रकाश नारायण ने 8 अप्रेल को मौन जुलुस का आह्वान किया। 'हमला चाहे जैसा होगा हाथ हमारा नहीँ उठेगालिखी तख्ती ले जयप्रकाश नारायण अकेले बर्बर सत्ता को ललकारने सड़क पर उतर गये।ज्ञात हो उस वक्त जब गफुर सरकार ने पटना आने की सारी गाड़ियोँ और ट्रेनो को रुकवा दिया,जिलोँ मे भयानक गिरफ्तारियाँ हुई।उस वक्त जब ना ऐसी मिडिया थी ना T.V. ना INTERNET फिर भी जेपी नेतृत्व मेँ लाखोँ लोग सड़क पर निकले।यह आंदोलन पुलिसिया दमन के बाद भी जब पुरे देश मेँ फैला तब महँगाई,भ्रष्टाचार के साथ प्रतिनिधि वापसी,काम का अधिकार,लोकपाल का गठन,शिक्षा मे सुधार जैसे मुद्दे जुड़ते गए।जेपी ने कहा भ्रष्टाचार की गँगोत्री दिल्ली से निकलती है पटना मे संयँत्र लगाने से काम नही चलेगा।और जनता से दिल्ली मे सफाई करने का आह्वान किया साथ ही पुलिस सेना को बर्बर सरकार को सहायता देने की अपिल की।कुर्सी खतरे मे देख सरकार ने आपातकाल की घोषणा की सारे बड़े नेता गिरफ्तार कर लिए गए।फिर भी जनता ने काम के अधिकार ,लोकपाल के गठन,दाम बाँधो,प्रतिनिधि वापसी का अधिकार,दोहरी शिक्षा नीति बँद करो का नारा बुलँद किया।तब तत्तकालिन प्रधानमँत्री ने'लोकनायक जयप्रकाश नारायण'को चुनाव लड़ने की चुनौती दी उसवक्त डायलसिस के भरोसे जिँदा स्ट्रेचर पर मौजुद क्रांतिदूत जेपी ने यह कहते हुए चुनौती स्वीकारी कि 'कुर्सी खाली करो कि जनता आती है।'इसी बीच 1 जनवरी 1975 को जेपी ने देश के गैरदलिय युवाओँ और छात्रोँ का संगठन बनाया जो चुनाओँ के बाद भी 'सँपुर्ण क्रांति' के लिए काम करे।इसका नाम 'छात्र युवा संघर्ष वाहिनी'रखा गया।
                          1977 आम चुनाव मे जेपी ने क्रांति का एक प्रयोग कर कई मतवालोँ की पार्टी'जनता पार्टी' का गठन किया जो भारी बहुमत से सरकार मेँ आई और पहली बार कांग्रेस को धूल चाटना पड़ा।लेकिन यह दल अपने अंतरद्वन्द मेँ उलझकर क्रांति की मुल भावना से भटक गया।तब जेपी ने छात्र युवाओँ से पुन: देश मेँ व्यवस्था परिवर्तन की लड़ाई को अंजाम तक पहुँचाने के लिए सँघर्ष करने के लिए कहा।जिसके बाद सँघर्ष वाहिनी ने बौधगया भुमि मुक्ती आँदोलन,गंगा मुक्ति आंदोलन,गंदमार्दन बचाओ आंदोलन,नियामक गिरी आंदोलन,चांडिल विस्थापन आंदोलन,डिमना डेम विस्थापन आंदोलन,विदर्भ आंदोलन सफलता पुर्वक चलाए तथा पर्यावरण प्रदुषण,कोयला सत्याग्रह,नारी मुक्ति,अँतरजातीय अँतरधार्मिक विवाह,दहेज  स्त्री पुरुष भेदभाव विचार के खिलाफ अभियान चलाकर अपनी एक अलग पहचान बनाई।जेपी के निधन के बाद हमारी धार जरुर कम हुई क्योँकि हमने बुराई के साथ कभी समझोतावादी रास्ता नहीँ अपनाया।आज भी हम अपने क्रांतिकारी आंदोलनो से पहचान जनआंदोलनो मेँ रखते हैँ।आज भी हम शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ,भ्रष्टाचार महँगाई,विस्थापन,पर्यावरण प्रदुषण ,वैश्विकरण निजीकरण, उदारीकरन पुँजीवाद के विरुद्ध लड़ रहे हैँ।भ्रस्टाचार,लोकपाल ,RIGHT TO REJECT&RIGHT TO RECALL के लिए सर्वप्रथाम हमने ही आवाज उठाई थी।आज जब वर्तमान अवसरवादी राजनीति  व्यवस्था और हाल के तथाकथित आंदोलने से जनता खुद को ठगा सा महसुस कर रही है।हमने फिर से ज्यादा सक्रिय होने का फैसला किया है ताकि लोगो की भावनाओँ समर्थन के साथ न्याय हो सके।ताकि बिना चुनाव लड़े गैरदलिय रह जनता के बीच रह सँघर्ष करने तथा सिद्धांत की राजनीति करने के और विचारो को जीने की परँपरा को जीवित रखा जा सके।इसलिए हमने अपनी बची  ताकत को समेट कर सँघष करने का निर्णय लिया है।
सँपुर्ण क्रांति अब नारा है भावी इतिहास हमारा है
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