Thursday 6 February 2014

स्थानीयता प्राथमिकता नीति के बारे में संयुक्त प्रेस वक्तव्य



1.    जनमुकित संघर्ष वाहिनी, छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी, झारखंड मुकित वाहिनी, सी.पी.आर्इ.(एम.एल.) और हुल झारखंड क्रांति दल ने स्थानीयता या डोमिसाइल प्राथमिकता की नीति के संदर्भ में अपना वैचारिक मंतव्य जाहिर करने के लिए यह प्रेस सम्मेलन बुलाया है। इन संगठनों ने अलग-अलग और साथ-साथ कर्इ दौरो में आन्तरिक बहस चलायी है, सामुहिक विमर्श किया है और एक संतुलित और संतोषजनक प्रारूप तैयार किया है। इस प्रारूप के साथ मुख्यमंत्री को एक मेमोरेन्डम भी भेजा गया है।
2.    सर्वप्रथम यह कहने की जरूरत है कि स्थानीयता को प्राथमिकता देने का प्रावधान क्षेत्रीय विषमता को घटाने, संघात्मक और विकेंदि्रत संरचना को मजबूत करने, राष्ट्रीयता की जड़ों को गहरार्इ देने का सकारात्मक प्रावधान है। यह संविधान सम्मत भी है और इसकी दीर्घकालिक, निर्विवाद, सर्वमान्य शासकीय परंपरा भी सभी प्रांतों में है। स्थानीयता प्राथमिकता के मसले को असंवैधानिक बताना संकीर्ण, अवसरवादी और औपनिवेशिक मनसिकता का परिचायक है।
3.    झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए स्थानीयता की निम्नलिखित निर्धारक कसौअियां होनी चाहिए,
क. वंशावली के उल्लेख के साथ गांव में वंशानुगत निवास का ग्रामसभा का प्रमाण पत्र
ख. ग्रामीण क्षेत्र में वंशानुगत सम्पति का कागजात
ग. ग्रामीण क्षेत्र में पुश्तैनी मकानवासभूमि का सविवरण ग्रामसभा का प्रमाण पत्र
घ. राज्य की जनजाति सूची में वर्णित जाति में किसी जाति का सदस्य होने का गोत्र के उल्लेख के साथ ग्रामसभा का प्रमाण पत्र
ड. राज्य की मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय या जनजातीय भाषा में किसी एक का भाषाभाषी होने का प्रमाण
च. शहरी क्षेत्र में न्यूनतम 30 वर्ष से मातापिता के निरंतर निवास और स्यवं के प्राथमिक स्तर से 12वीं तक की शिक्षा झारखंड में लेने का प्रमाण
छ. जब नीति लागू हो, तब से 5 वर्ष के लिए इस शहरी निवास के संदर्भ में 1970 का वर्ष कटआफ इयर के रूप में हो (झारखंड बनने के 30 साल पहले)
ज. प्रथम श्रेणी के मजिस्ट्रेट से सत्यापित शपथ पत्र (मूलवासस्थायीवासवर्तमान निवास के सम्पूर्ण विवरण के साथ) कि व्यकित उसी प्रांत का स्थायी है, स्थानीयता प्राथमिकता का हकदार है। किसी अन्य प्रांत की स्थानीयता प्राथमिकता का हकदार नहीं। अगर कहीं और की स्थानीयता की दावेदारी पायी गयी तो वह व्यकित नियोजन समापित, लाभवापसी और सजा का पात्र होगा।
नोट:- सभी का आवश्यक कागजातों के साथ बायोमेटि्रक पहचान भी संलग्न करने की व्यवश्था करना अच्छा होगा।
4.    प्रांत की तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरी के साथ ही उच्चश्रेणी की प्रांतीय सरकारी नौकरियों में सुनिशिचत सहभाहिता का रूप इस प्रकार का होना चाहिए।
·       झारखंड के गांव में आनुवंशिक निवास व अन्य प्रमाणों से लैस लोगों की सहभागिता - 80 प्रतिशत
·       झारखंड के शहर में न्यूनतम निरंतर 30 साल के निवास, झारखंड में शिक्षा और व्यकितगत शपथ पत्र से लैस दावेदारों की सहभागिता - 10 प्रतिशत
·       राष्ट्रीय स्तर पर सहभागिता के लिए खुला - 10 प्रतिशत
5.    प्रांतीय सरकारी नौकरियों के लिए जो परीक्षायें होती हैं, उसमें झारखंडी भाषा, संस्कृति एवं अन्य सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्नों की एक अनिवार्य और निशिचत हिस्सेदारी होनी चाहिए।
कुल जितने अंकों  की परीक्षा है, उसके एक-चौथार्इ अंक (25 प्रतिशत अंक) का एक अलग पेपर हो। इस पेपर का भाषार्इ माध्यम झारखंड की मान्यता प्राप्त क्षेत्रीय और जनजातीय भाषाओं में हो। इस पेपर में झारखंड के भाषा, संस्कृति, भूगोल, धर्म व रीति-रिवाज और अन्य सामान्य ज्ञान से जुड़े प्रश्न हो। इस पेपर में 40 प्रतिशत अंक लाना चयन के अनिवार्य शर्त हो। इस संदर्भ में 60 के दशक में प्रोन्नति के लिए आवश्यक जनजातीय भाषा के ज्ञान का प्रावधान उल्लेखनीय है।
6.    इसके साथ ही हम बताना आवश्यक समझते हैं कि नौकरियों में स्थानीयता की प्राथमिकता झारखंड की सारी समस्याओं का समाधान नहीं है। बेरोजगारी का भी यह समाधान नहीं। यह न्यायपूर्ण अवसर देने का एक प्रावधान भर है। बेरोजगारी, गरीबी, विषमता के लिए नीतियों में बुनियादी बदलाव का जोरदार संघर्ष आवश्यक होगा। तमाम वंचित जनों को इसके लिए एक साथ आना होगा।


जनमुकित संघर्ष वाहिनी  छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी
झारखंड मुकित वाहिनी    सी.पी.आर्इ. (एम.एल.)
           हुल झारखंड क्रांति दल

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