Tuesday, 5 November 2013

हम तरुण हैं हिन्द के ..


हम तरुण हैं हिन्द के, हम खेलते अंगार से
लड़ते नहीं हथियार से डरते नहीं तलवार से|
हम जीतते हैं प्यार से ..............................
                              हम तरुण हैं हिन्द के ........

आँधियों के बीच में रहें निमंत्रण दे रहीं|
लाख पथ रोके बवंडर हम तो ना कहते नहीं||
हम खेवैया नाव ले जाते सदा मझधार से|
                              हम तरुण हैं हिन्द के .......

चाँद- सूरज और सितारे लाख ये ढलते रहें|
जिन्दगी के कारवां चलते रहे चलते रहें||
कौन है मुझको बुलाता क्षितिज के उस पर से|
                             हम तरुण हैं हिन्द के ........

मुक्ति का ले मंत्र मेरे देश में गाँधी बढ़ा|
सत्य का संग्राम सबने त्याग के बल पर लड़ा|
क्रांति की ज्वाला कभी बुझती नहीं फफकार से|
                             हम तरुण हैं हिन्द के ........

किरण की जलती मशालें और चंदा का दिया|
भाल विस्तृत है गगन-सा और धरती-सा हिया||
प्रेम का पंछी कभी लौटा न खाली द्वार से|
                            हम तरुण हैं हिन्द के ........

No comments:

Post a Comment