ज्ञात हो कि पिछले साल 26 जून 2011 को ओरमांझी [रांची, झारखण्ड] की व्यापक बैठक में 7 सदस्यी केंद्रीय संचालन समिति का गठन किया गया,जिसका कार्यकाल 1 वर्ष का था| जिसमें सभी सदस्यों को राज्यवार इकाई बनाने की जिम्मेदारी सौपी गई, ताकि राष्ट्रीय परिषद का गठन किया जा सके |
विगत वर्ष के तय कार्यक्रम अनुसार जून 2012 को राष्ट्रीय परिषद होना तय किया गया था जो 30 जून 2012 को हरिहरनाथ शास्त्री भवन,कानपुर में आयोजित की गई, लेकिन संतोषजनक उपस्थिति एवं रिपोर्ट न आने के कारण परिषद को व्यापक बैठक में परिवर्तित किया गया| केन्द्रीय संचालन समिति द्वारा पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों के तहत 3 बैठकें [2,अक्टूबर –दिल्ली ; 1 जनवरी –दिल्ली ; 19 अप्रैल 2012 –चांडिल(जमशेदपुर) में ] संपन्न हुई| कई राज्यों में इकाई गठन करने का प्रयास किया गया, लेकिन संविधान अनुसार रिपोर्ट न मिलने के कारण पुरानी समिति को भंग कर पुनः केंद्रीय संचालन समिति बनाने का निर्णय लिया गया, निर्णयानुसार-
Ø केंद्रीय संचालन समिति में - अंतिमा, वारंग्ये वरुण विक्रम, सुशान्त [उत्तर प्रदेश]; संदीप [दिल्ली]; दीपक, कुमार दिलीप, मुकुंदर, नितीश आनंद, केशव क्रन्तिकारी [झारखण्ड]; राही शैला रमेश [महाराष्ट्र]; कल्पना कुमारी [उत्तरखंड]; रविंदर कुमार [बिहार] शामिल हैं|
Ø 12 सदस्यी समिति को संचालित करने के लिए सर्वसहमति से सुशान्त को केंद्रीय संयोजक चुना गया |
Ø केंद्रीय संचालन समिति का कार्यकाल 1 वर्ष रखा गया|
Ø वारंग्ये वरुण को संगठन के कोषसंग्रह के लिए जिम्मेदारी सौपी गई |
Ø दीपक और कुमार दिलीप को राष्ट्रीय कार्यालय प्रभार का जिम्मा सौपा गया|
Ø एक वर्ष के कार्यकाल के दौरान समिति को 2 बैठकें करनी होंगी, जो क्रमशः दिल्ली, नवम्बर 2012 व उतराखंड , जून 2012 में होगी तथा अंत में परिषद करना होगा (स्थान व तिथि का निर्धारण संचालन समिति की बैठक में होगा)|
बैठक में संचालन समिति के अन्तिमा, वारंग्ये वरुण विक्रम, सुशान्त, संदीप, दीपक, कुमार दिलीप के अलावा आमंत्रित साथी मुकुंदर, विश्वनाथ, किरनवीर [झारखण्ड]; विप्लव [प.बंगाल]; अनन्य श्री, मयंक आलोक, अभिमन्यु तथा जसवा से संजय कुमार, ज्ञानेंद्र कुमार [महाराष्ट्र]; अरविन्द अंजुम [झारखण्ड]; विभूति विक्रम, सुषुम विक्रम, दिनेश प्रियमन, अशोक [उत्तर प्रदेश] एवं मानववादी मोर्चे के बुजुर्ग जनकर्मी लक्ष्मण चौधरी (सासाराम, बिहार) शामिल हुए |
ज्ञात हो कि पिछले कई वर्षों से छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी (छा.यु.सं.वा.) द्वारा शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ एवं गुणवत्तायुक्त समान शिक्षा हेतु लगातार जनचेतना के कार्यक्रम के तहत पूरे देश भर में सेमिनार, संगोष्ठी, बैठकें व जनसंपर्क चलाया जा रहा है| जिसके तहत सेमिनार – गिरिडीह (झारखण्ड) में; दिल्ली में; जनसंपर्क – नई टिहरी, [उत्तराखंड]; सेंधवा [मध्य प्रदेश]; वर्धा, भुसावल, जलगावं, मुंबई [महाराष्ट्र] ; झारसुगुड़ा, बारीपदा [ओडिशा]; गया, प्.चम्पारण, पटना [बिहार] किया गया |
महाराष्ट्र में छा.यु.सं.वा. के सहयोगी संगठन ‘शिक्षण व्यापारी विरोधी मंच’ के साथ संवाद स्थापित व पत्रिका ‘FACE TO FACE’ को प्रकाशित, किया जा रहा है| फेसबुक में ‘YOUTH INITIATIVE’ के तहत वाद-विवाद की प्रक्रिया लगातार चलाई जा रही है साथ ही संघर्ष वाहिनी का नया ब्लॉग (sangharshvahini.blogspot.com) बनाया गया तथा छा.यु.सं.वा. का बचत खाता खोला गया(CHHATRA YUVA SANGHARSH VAHINI , A/C No.- 32139259813 , AT- DIMNA BRANCH)|
शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ देश के विभिन्न स्थानों पर अभियान को संगठित करने के लिए एक साल की गतिविधियों की योजना बनी तथा दिल्ली में सितम्बर माह के अंत तक शिक्षा के बाज़ारीकरण के खिलाफ एक दिवसीय धरने का आयोजन किया जायेगा|
साथ ही छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी (छा.यु.सं.वा.) द्वारा ‘शिक्षा का बाजारीकरण’ विषय पर सेमिनार का आयोजन 1 जुलाई को हरिहरनाथ शास्त्री भवन (खलासी लाइन ) के सभागार में किया गया | सेमिनार में विभिन्न प्रदेशों से जुटे छा.यु.सं.वा. के प्रतिनिधियों के अलावा कई जनसंगठनो के सदस्यों, जनकर्मियों-समाजकर्मियों ने सक्रिय भागीदारी की|
सेमिनार में हुए गंभीर विचार-विमर्श के दौरान ये बात उभरकर आई कि शिक्षा का जो व्यापक उद्देश्य है – समाज, देश, दुनिया के मानवीय सरोकारों के प्रति संवेदनशील, और मानवीय मूल्यों को वैज्ञानिक चेतना के साथ लगातार विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध मानव का विकास – हमारी मौजूदा शिक्षा व्यवस्था इस व्यापक उद्देश्य से कोसों दूर है| आज की शिक्षा नौकरी और बेहतर पैकेज का लोकलुभावन सपना दिखाने वाले महंगे शिक्षा संस्थानों के मकडजाल में फंस गई है| सरकार शिक्षा के इन सौदागरों की सहायक भूमिका में है| आम जनता इस महँगी शिक्षा के बारे में सोच भी नहीं सकती| मध्यवर्ग कर्ज का जुगाड कर इस जाल में फंस रहा है| प्राथमिक शिक्षा की भी बदहाली है| सरकारी स्कूलों में अपने बच्चों को केवल बेहद गरीब और संसाधनहीन लोग ही भेजते हैं| शिक्षा की गुणवत्ता और सबको सुलभ समान शिक्षा के लिए बदलाव के एक बड़े आंदोलन की ज़रूरत महसूस की गई|
सेमिनार के विषय प्रवेश में छा.यु.सं.वा. के संदीप (दिल्ली) ने शिक्षा के अधिकार अधिनियम की उन तमाम कमियों को रेखांकित किया, जिनसे संघर्ष वाहिनी असहमत है| अजीत खोटे का मानना था कि शिक्षा केवल नौकरी और पैकेज में सिमट गई है| नौशाद आलम मंसूरी ने कहा कि सरकारी स्कूलों को बर्बाद कर निजी महंगे स्कूलों की राह बनाई गई है| उन्होंने सरकारी स्कूलों को बचाने का अभियान चलाने पर बल दिया | छा.यु.सं.वा. के वरुण विक्रम ने कहा कि उच्च शिक्षा में भी हमें परिभाषाओं को ही दोहराने को कहा जाता है, विश्लेषण और शोध की बात नहीं होती|
विजय चावला (पी.यू.सी.एल.) ने शिक्षा व्यवस्था की बदहाली के लिए सरकार को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि यह सरकार कि सोची-समझी नीति है, जिसके ज़रिये वह शिक्षित श्रमशक्ति की निर्यातक बनी हुई है | वरिष्ठ एडवोकेट सईद नकवी ने कहा कि केवल सरकार की आलोचना करने के बजाय शिक्षा का अधिकार कानून के सकारात्मक प्रावधानों का जनहित में उपयोग करने की तैयारी बननी चाहिए | राकेश मिश्रा का मानना था कि मौजूदा शिक्षा सम्पूर्ण इंसान बनाने में असमर्थ है| जनमुक्ति संघर्ष वाहिनी (जसवा) के उत्तर प्रदेश के संयोजक दिनेश प्रियमन ने शिक्षा के बाजारीकरण के खिलाफ हर जगह सक्रिय संघर्ष के मोर्चे बनाने पर बल दिया|
मानववादी मोर्चे के बुजुर्ग जनकर्मी लक्ष्मण चौधरी (सासाराम, बिहार) ने प्राथमिक शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए संघर्ष और क्रांति की ज़रूरत पर बल दिया और कहा कि किसी समस्या का समाधान भीख में नहीं मिलता | जन एकता मुहिम (उन्नाव) के संयोजक नसीर अहमद ने अपने पास-पड़ोस, गांव-मोहल्ले से बदलाव करने की बात कही| संजीव ने भी ज़ोरदार संघर्ष की वकालत की|
जसवा के अरविंद अंजुम (जमशेदपुर, झारखण्ड) ने कहा कि शिक्षा कोई बिकाऊ चीज या कमोडिटी नहीं है | सरकार की संकल्पहीनता और जनता की उदासीनता के चलते शिक्षा की मौजूदा बदहाली है| सरकार को शिक्षकों और शिक्षा की गुणवत्ता के साथ कोई समझौता नहीं करना चाहिए | लोकसेवक मंडल के संयोजक दीपक मालवीय ने युवाओं को सक्रिय होने का आह्वान करते हुए आगंतुकों का कृतज्ञता ज्ञापन किया | छा.यु.सं.वा. के संयोजक सुशान्त ने सेमिनार का संचालन किया |
सेमिनार में मो.कासिम, दीपक, कुमार दिलीप, किरनवीर, विश्वनाथ, मुकुंदर [ झारखण्ड ], विप्लव [प्.बंगाल], संजय [वर्धा, महाराष्ट्र], विभूति, सुषुम [इलाहाबाद], अंतिमा [फैज़ाबाद], नैसर्गिका यादव [इटावा], शिखा, मयंकआलोक, पुतुल, चैतन्य, अर्चित, गिरजेश, सुशील, के.के.मिश्रा, अशोक [उन्नाव], तथा कानपुर से तस्कीन फातिमा, अमन आहूजा, कुलदीप सक्सेना, विशाल यादव, असित कुमार सिंह, हृदय पाण्डेय, राजेंद्र निगम, प्रवी भटनागर, डॉ.अखंड प्रकाश, कल्पना आदि ने भी सक्रिय भागीदारी की |
सुशान्त
(संयोजक – छा.यु.सं.वा.)
(संपर्क फोन -9026742261)
(Email –sushantshankar1991@gmail.com)
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